Friday, January 12, 2018

अकसर पूछे जाने वाले कंप्यूटर प्रश्न - Frequently Asked Computer Questions

प्रोग्रामिंग भाषा के प्रकार - Types of Programming Language

Computer Programming Language एक कृत्रिम भाषा होती है, जैसे आप एक दूसरे से बातचीत करते हैं उसी प्रकार कंप्‍यूटर या मशीन को किसी कार्य को करने का निर्देश देने के लिए कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा की आवश्यकता होती है इसे Computer Language ( कंप्यूटर भाषा ) भी कहते हैं तो आईये जानते हैं कम्प्यूटर की भाषा क्या हैं और कम्प्यूटर की भाषाएँ कितने प्रकार की होती है ?

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए दो तरह की भाषाएँ होती है -
निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (Low Level Programming Language) - निम्‍न स्‍तरीय प्रोग्रामिंग भाषा दो प्रकार की होती है 
  1. मशीनी भाषा (Machine Language) - इस भाषा को केवल कंप्‍यूटर ही समझ सकता है, कम्प्यूटर मात्र बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 को ही समझता है और कंप्‍यूटर का सर्किट यानी परिपथ इन बायनरी कोड को पहचान लेता है और इसे विधुत संकेतो ( Electrical signals ) मे परिवर्तित कर लेता है इसमें 0 का मतलब low या Off है और 1 का मतलब High या On मनुष्‍य के लिये इसे समझना और इसमें प्रोग्राम लिखना असंभव है,  पहली पीढ़ी के कम्प्यूटरों में मशीनी भाषा का प्रयोग किया जाता था। इसे मशीनी भाषा काे First Generation Programming Language कहा जाता है
  2. असेंबली भाषा (Assembly Language) - असेम्बली भाषा (Assembly Language) एक ऐसी कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा हैं जिसमे अंकीय संकेतो के स्थान पर नेमोनिक कोड का प्रयोग किया जाता है और इसे मशीनी भाषा में बदलने के लिये असेम्बलर की आवश्‍यकता होती है, किन्तु यह अलग-अलग माइक्रो प्रोसेसर के लिये अलग-अलग होती है। असेम्बली भाषा (Assembly Language) का प्रयोग कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी में किया जाता है इसलिये इसे Second Generation Programming Language कहा जाता है। 
उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (High Level Programming Language) - कम्प्यूटर में प्रयोग की जाने वाली वह भाषा जिसमे अंग्रेजी अक्षरो, संख्याओ एवं चिन्हो का प्रयोग करके प्रोग्राम लिखा जाता है, उसे उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा कहा जाता है और किसी भी प्रकार के प्रोससर पर कार्य कर सकती है इसे आसानी से समझा जा सकता है यह सामान्य अंग्रेजी जैसी लगती है। इसे कम्पाइलर द्वारा अनुवाद करके मशीनी भाषा में बदला जाता है। यह दो प्रकार की होती हैंं -
  1. तीसरी पीढ़ी की प्रोग्रामिंग भाषा (Third generation programming language) - इस प्रोगामिंग भाषा के आने से कंप्‍यूटर प्रोग्रामर का काम आसान हो गया कंप्‍यूटर प्रोग्रामिंग करते समय अब उनको मशीनी भाषा और असेंबली भाषा की जरूरत नहींं थी और ना ही उनको मशीन के आर्टीट्रेेेेचर को जानना जरूरी था वह अब आजाद होकर कंप्‍यूटर प्रोग्रामिंग कर सकते थे तीसरी पीढ़ी की प्रोग्रामिंग भाषा (Third generation programming language) में पास्कल और बेसिक का विकास हुआ
  2. चौथी पीढ़ी की प्रोग्रामिंग भाषा (Fourth generation programming language) - तीसरी पीढ़ी की प्रोग्रामिंग भाषा के मुकाबले चौथी पीढ़ी की प्रोग्रामिंग भाषा को अधिक सरल बनाया गया, इस भाषा में कोडिंग करना उसे समझना बहुत सरल हो गया इसी समय C, C++ भाषा का विकास हुआ, जिससे प्रोग्रामिंग करना अधिक सरल हुआ।

प्रोग्रामिंग भाषा क्या है ?- What is Programming Language ?

प्रोग्रामिंग भाषा (programming language) एक कृत्रिम भाषा होती है जिसका प्रयोग Computer Programming करते समय कंप्‍यूटर को निर्देश देने के लिये प्रोग्राम बनाये जाते समय किया जाता है लेकिन केवल प्रोग्रामिंग भाषा (programming language) का प्रयोग कंप्‍यूटर के ही नहींं बल्कि कुछ मशीनों काे प्रोग्राम करने के लिये भी किया जाता है तो आईये प्रोग्रामिंग भाषा (programming language) के बारे में थोडा और जानते हैं -

प्रोग्राम कंप्‍यूटर को दिये जाने वाले निर्देशों का सेट होता है प्रोग्राम जितना स्पष्ट, विस्तृत और सटीक होगा, कम्प्यूटर उतने ही सुचारू रूप से कार्य करेगा, उतनी ही कम गलतियां करेगा और उतने ही सही उत्तर देगा इन निर्देशों को लिखने के लिये प्रोग्रामिंग भाषा (programming language)  की आवश्‍यकता होती है प्रोग्रामिंग भाषा या प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज की आवश्‍यकता होती है

मानव द्वारा समझने के स्‍तर (कठिन से सरल) के आधार पर प्रोग्रामिंग भाषा को तीन श्रेणियाें में विभाजित किया गया है
  1. मशीनी भाषा (Machine Language) - इस भाषा को केवल कंप्‍यूटर ही समझ सकता है, मनुष्‍य के लिये इसे समझना और इसमें प्रोग्राम लिखना असंभव है। 
  2. असेम्बली भाषा (Assembly Language) -  एक ऐसी कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा हैं जिसमे अंकीय संकेतो के स्थान पर नेमोनिक कोड का प्रयोग किया जाता है और इसे मशीनी भाषा में बदलने के लिये असेम्बलर की आवश्‍यकता होती है, किन्तु यह अलग-अलग माइक्रोप्रोसेसर के लिये अलग-अलग होती है।
  3. उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (High-Level Programming Language) - यह मनुष्‍य द्वारा समझने में बहुत आसान होती है इसमें साधारण अंग्रेजी के शब्‍दों का प्रयोग किया जाता है तथा बाद में कम्पाइलर का प्रयोग कर मशीनी भाषा में बदला जाता है।
इस समय लगभग 2,500 प्रोग्रामिंग भाषाएं मौजूद हैं। इसमेें से पास्कल, बेसिक, फोर्ट्रान, सी, सी++, जावा, जावास्क्रिप्ट आदि कुछ प्रमुख प्रोग्रामिंग भाषाएं हैं।

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग क्या है ? - What is Computer Programming ?

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग ( Computer Programming ) बहुत ही महत्‍वपूर्ण विषय है, कंप्‍यूटर क्षेत्र से जुडे काफी लोग कंप्यूटर प्रोग्रामिंग ( Computer Programming ) केे बारे में बारे में जानना चाहते हैं तो आईये जानते हैं कंप्यूटर प्रोग्रामिंग क्‍या है - What is Computer Programming  in Hindi 

आम जीवन में जब कोई काम करते हैं तो उसकी पूरी रूपरेखा तैयार करते हैं "आपने भी कहीं जाने से पहले पूछा होगा कि आप का क्‍या प्रोग्राम है" किसी शादी में तो कई सारे कार्य प्रारम्भ होने से कार्य के सम्पन्न होने तक के एक-एक चरण किये जाते हैं उसकी प्रकार कंप्‍यूटर के लिये भी निर्देशों की क्रमबद्ध रूपरेखा तैयार की जाती है कंप्यूटर प्रोग्रामिंग ( Computer Programming ) कहते हैं 

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग ( Computer Programming ) एक माध्‍यम से जिससे आप कंप्‍यूटर को निर्देश देने के लिये एक प्रोग्राम तैयार करते हैं और ये प्रोग्राम कंप्‍यूटर को दिये जाने वाले निर्देशों का सेट होता है प्रोग्राम जितना स्पष्ट, विस्तृत और सटीक होगा, कम्प्यूटर उतने ही सुचारू रूप से कार्य करेगा, उतनी ही कम गलतियां करेगा और उतने ही सही उत्तर देगा इन निर्देशों को लिखने के लिये प्रोग्रामिंग भाषा की आवश्‍यकता होती है प्रोग्रामिंग भाषा या प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज की आवश्‍यकता होती है 

लेकिन यहां भी एक परेशानी है प्रोग्रामिंग भाषा ( Programming Language ) में 0 और 1 के अलावा अन्‍य अंकाेें और शब्‍दोंं का प्रयोग होता है जिसे कंप्‍यूटर सीधे इस पढ नहीं पाता हैं कम्प्यूटर मात्र बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 यानि मशीनी भाषा को ही समझता है, यह कंप्‍यूटर की आधारभूूत भाषा होती है 

चूंकि मशीनी भाषा बायनरी कोड में लिखी जाती है जिसके केवल दो अंक होते हैं 0 और 1 लेकिन बाइनरी कोड संकेत समझना और उसमें प्रोग्राम लिखना हमारे लिये संभव नहीं हैं इसलिये मनुष्‍य ने अपना काम आसान करने के लिये असेंबली भाषा का निर्माण किया जिसमें बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 के स्‍थान पर ऐसे अन्य शब्‍दों और अंकों का प्रयोग किया जाता है जिसे नेमोनिक कोड कहते हैं

लेकिन कंप्‍यूटर केवल मशीनी भाषा को ही समझता है,  इस काम को करता है भाषा अनुवादक ( Language Translator ) यह अंकों और शब्‍दों को मशीनी भाषा अथवा बायनरी अंकों में बदल देता है ताकि कंप्‍यूटर इस आसानी से पढ सके और प्रोग्राम के अनुसार काम कर सके प्रोग्रामिंग भाषा अनुवादक ( Programming Language Translator ) तीन प्रकार के होते हैं - 
1. असेम्बलर  (Assembler)
2. कम्पाइलर (Compiler)
3. इंटरप्रेटर (Interpreter) 

 

कम्पाइलर और इंटरप्रेटर  में अंतर - Difference Between Interpreter and Compiler

कम्पाइलर और इंटरप्रेटर दोनों भाषा अनुवादक हैैं और इनका काम उच्च स्तरीय भाषा (High level language) को मशीनी भाषा में बदलना है लेकिन इनके काम करने का तरीके के आधार पर दोनों में कुछ अंतर भी है तो आईये जानते हैं - कम्पाइलर और इंटरप्रेटर में अंतर - Difference Between Interpreter and Compiler in Hindi

मशीनी भाषा ( Machine language ) के अतिरिक्‍त सभी प्रोग्रामिंग भाषा ( Programming Language ) में 0 और 1 के अलावा अन्‍य अंकाेें और शब्‍दोंं का प्रयोग होता है लेकिन कंप्‍यूटर सीधे इस पढ नहीं पाता है, लेकिन भाषा अनुवादक इन अंकों और शब्‍दों को मशीनी भाषा अथवा बायनरी अंकों में बदल देता है ताकि कंप्‍यूटर इस आसानी से पढ सके और प्रोग्राम के अनुसार काम कर सके - 


कम्पाइलर (Compiler) इंटरप्रेटर (Interpreter)
1प्रोग्राम के पूूरे सोर्सकोड को एक साथ अनुवाद करता हैएक बार में एक लाइन का अनुवाद करता है
2
सारे एरर बाद में बताता है हर लाइन का एरर बताता है और एरर ठीक होने के बाद ही दूसरी लाइन पर आता है
3
अनुवाद करने में कम समय लेता है
अनुवाद करने में ज्‍यादा समय लेता है
4
प्रोग्राम में एरर की संभावना रहती है 
किसी प्रकार के एरर की संभावना नहीं रहती है

 

प्रोग्रामिंग भाषा को मशीनी भाषा में अनुवाद करने के लिये इंटरप्रेटर ( Interpreter ) की आवश्‍यकता होती है इंटरप्रेटर ( Interpreter ) भी कम्पाइलर की तरह ही लैंग्वेज ट्रांसलेटर का काम करता है तो आईये जानते हैं इंटरप्रेटर क्या है (What is interpreter ) और ये कैसे काम करता है -

इंटरप्रेटर ( Interpreter ) भी कम्पाइलर की तरह उच्‍च स्‍तरीय भाषा काे मशीनी भाषा में ट्रांसलेट करने का काम करता है, उच्च स्तरीय कंप्यूटर भाषाएँ जैसे सी++, जावा में लिखे प्रोग्राम को सोर्स कोड कहा जाता है इंटरप्रेटर ( Interpreter ) सोर्स कोड की पहली लाइन का अनुवाद करता है और यदि पहली लाइन में कोई गलती पाता है तो उसे दर्शाता है यानि एरर देता है और जब तक वह लाइन पूरी तरह से संशोधित नहीं हो जाती है यानि ठीक नहीं हो जाती है जब तक आगे नहीं बढता है जब पहली लाइन पूरी तरह से संशोधित हो जाती है तब दूसरी लाइन पर आगे बढता है तो इस तरह से इंटरप्रेटर (Interpreter) लाइन बाई लाइन किसी प्रोग्राम को मशीनी भाषा में  अनुवाद करता है 

यह हर प्रोग्राम को इस तरह से अनुवाद करता है, इस तरह से अनुवाद करने में इंटरप्रेटर ( Interpreter) कम्पाइलर से अधिक समय लेता है यह अपने  सोर्स कोड को पूरी तरह से मशीनी कोड में नहीं बदलता है इसलिये हर बाद अनुवाद करते समय इसे सोर्स कोड  की जरूरत होती है

कम्पाइलर क्या है ? - What is Compiler ?

अगर आपने कंप्‍यूटर की प्रोग्रामिंग भाषा के बारे में पढा होगा तो आपने कम्पाइलर (compiler) के बारे में जरूर सुना होगा, तो आईये जानते हैं कम्पाइलर (compiler) क्‍या होता है और प्रोग्रामिंग में कम्पाइलर (compiler) का महत्‍व होता है -

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए दो तरह की भाषाएँ होती है - निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा ( Low Level Programming language). एक विशेष मशीन के लिए सीधे मेल खाती है, उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (High Level Programming language). ये भाषाएँ मशीन से स्वतंत्र होती है  और किसी भी प्रकार के कंप्यूटर पर कार्य कर सकती है लेकिन जैसा कि आप जानते हैं कंप्‍यूटर केवल मशीनी भाषा को समझता है और मशीनी भाषा में प्रोग्रामिंग करना संभव नहीं है इसलिये प्रोग्रामिंग करने में लिये पहले असेंबली भाषा का निर्माण किया गया जो कि एक निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा ( Low Level Programming language) है इसे मशीनी भाषा में बदलने के लिये या अनुवाद करने के लिये एक प्रोग्राम बनाया गया जिसे असेम्बलर कहा जाता है।
उसी प्रकार उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (High Level Programming language) जैसे बेसिक, सी, सी++, जावा आदि को भी मशीनी भाषा में अनुवाद करने की जरूरत होती है ताकि कंंम्‍यूटर उसे समझ सके कम्पाइलर (compiler) वो प्रोग्राम होता है जो किसी उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (High Level Programming language) में लिखे प्रोग्राम को किसी मशीनी भाषा में बदल देता है। उच्च स्तरीय कंप्यूटर भाषाएँ जैसे सी++, जावा में लिखे प्रोग्राम को सोर्स कोड कहा जाता है, कम्पाइलर इन सोर्स कोड को ऑब्जेक्ट कोड में बदलता है ऑब्जेक्ट कोड बाइनरी कोड होते हैं जिन्‍हें कंप्‍यूटर समझ सकता है या कहेंं तो कम्पाइलर (compiler) उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (High Level Programming language) को निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा ( Low Level Programming language) में बदलने का काम करता है 

असेम्बलर किसे कहते है ?

कंप्‍यूटर मशीन भाषा (Machine language) में लिखे प्राेग्राम को ही समझ पाता था लेकिन मशीन भाषा (Machine language) में प्रोग्राम लिखना कठिन काम था इसलिये असेम्बली भाषा (Assembly language) को बनाया गया और असेम्बली भाषा को मशीनी भाषा में अनुवाद करने के लिये बनाया गया Translator है जो असेम्बली भाषा (Assembly language) को मशीन भाषा (Machine language) में Translate करता है, उसे असेम्बलर (Assembler) कहते है तो आईये जानते हैं असेम्बलर किसे कहते है - What is Assembler और ये कैसे काम करता है -

कंप्‍यूटर असेंबली भाषा में लिखे प्रोग्राम को नहीं समझता है कम्प्यूटर मात्र बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 यानि मशीनी भाषा को ही समझता है इसलिये असेम्बली भाषा (Assembly Language) में लिखे प्राेग्राम में लिखे प्रोग्राम को मशीनी भाषा ( Machine language ) में Translate किया जाता है और इस काम करता है।  प्रोग्रामिंग भाषा अनुवादक अब जो भाषा अनुवादक ( Language Translator ) असेम्बली भाषा (Assembly Language) को मशीनी भाषा ( Machine language ) मेंं Translate करतेे हैं वह असेम्बलर (Assembler) कहलाते हैं

असल में असेम्बलर (Assembler) कंप्यूटर का वह प्रोग्राम होता है जो असेम्बली भाषा (Assembly language) लिखे गये कोड जैसे नेमोनिक कोड को मशीनी भाषा में यानि बायनरी कोड में बदल देता है और कंप्‍यूटर जो बायनरी के बाइनरी के सिद्धांत पर चलता है और यह 0 और 1 की भाषा ही समझता है। 

असेम्बलर या असेंबली भाषा क्या होती है ? What is the Assembler or the Assembly Language ?

मशीनी भाषा के बारे में तो आप जान ही चुके हैं, और आज हम बात करने वाले हैं असेम्बली भाषा (assembly language) या असेम्बलर भाषा (assembler) के बारे में, दरअसल असेम्बली भाषा (Assembly Language ) मशीनी भाषा के बाद पहली प्रोग्रामिंग भाषा थी, जिसका निर्माण मशीनी भाषा द्वारा प्रोग्राम तैयार करने मे आने वाली कठिनाईयो को दूर करने के लिये किया गया था तो आईये जानते हैं असेम्बली भाषा (assembly language) क्या होती है

क्या होती है असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language) ?

असेम्बली भाषा (Assembly Language) एक निम्न स्तरीय भाषा (Low Level Language) है, असेंबली लैंग्वेज प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की सेंकेंड जेनरेशन है, असेम्बली भाषा (assembly language) को कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा के विकास का पहला कदम माना जाता है, चूंकि मशीनी भाषा बायनरी कोड में लिखी जाती है जिसके केवल दो अंक होते हैं 0 और 1 लेकिन बाइनरी कोड संकेत समझना और उसमें प्रोग्राम लिखना हमारे लिये संभव नहीं हैं इसलिये मनुष्‍य ने अपना काम आसान करने के लिये असेम्बली भाषा (Assembly Language) का निर्माण किया जिसमें बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 के स्‍थान पर ऐसे अन्य शब्‍दों और अंकों का प्रयोग किया जाता है जिसे नेमोनिक कोड कहते हैं, जिसके कारण प्रोग्राम को लिखना आसान हो गया, असेम्बली भाषा (Assembly Language) एक ऐसी कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा हैं जिसमे अंकीय संकेतो के स्थान पर अक्षर अथवा चिन्हो का प्रयोग किया जाता है, इस कारण असेम्बली भाषा symbol language भी कहलाती है

नेमोनिक कोड और आकडो हेतु उपयुक्त नाम के प्रयोग के कारण इस प्रोग्रामिंग भाषा को अपेक्षाकृत अधिक सरलता से समझा जा सकता है। इससे प्रोग्रामिंग भाषा मे कम समय लगता है और साथ ही इसमे गलतियो को सरलता से ढूंढकर दूर किया जा सकता है जो कि मशीनी भाषा में संभव नहीं था।

लेकिन कंप्‍यूटर असेम्बली भाषा (Assembly Language) में लिखे प्रोग्राम को नहीं समझता है कम्प्यूटर मात्र बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 यानि मशीनी भाषा को ही समझता है इसलिये असेम्बली भाषा (Assembly Language) में लिखे प्राेग्राम में लिखे प्रोग्राम को मशीनी भाषा ( Machine language ) में Translate किया जाता है और इस काम करता है, प्रोग्रामिंग भाषा अनुवादक अब जो भाषा अनुवादक ( Language Translator ) असेम्बली भाषा (Assembly Language) को मशीनी भाषा ( Machine language ) मेंं Translate करतेे हैं वह असेम्बलर (Assembler) कहलाते हैं

मशीनी भाषा (Machine Language) से आप समझ गये होगें कि ये भाषा कंप्‍यूटर या मशीनों से संवाद करने के लिये प्रयोग में आती होगी, लेकिन कैसे और कहां मशीनी भाषा (Machine Language) का प्रयाेग होता है आईये जानने की कोशिश करते हैं मशीनी भाषा किसे कहते है What is machine language -

जिस प्रकार मनुष्‍य को आपस में संवाद करने के लिये या निर्देश देने के लिये भाषा की जरूरत होती है उसी प्रकार कंप्‍यूटर को भी निर्देश देने के लिये एक भाषा की आवश्‍यकता होती है अब कंप्‍यूटर आपकी भाषा में तो निर्देश ले नहीं सकता है कि "कंप्‍यूटर महोदय टाइप कर दो" इसलिये कंप्‍यूटर काे निर्देश देने के लिये एक भाषा का निर्माण किया गया

मशीनी भाषा क्या है ? - What is Machine Language ?

मशीनी भाषा ( Machine language ) वह भाषा होती है जिसमें केवल 0 और 1 दो अंको का प्रयोग होता है यह कंप्‍यूटर की आधारभूूत भाषा होती है जिसे कंप्‍यूटर सीधे सीधे समझ लेता है, मशीनी भाषा बायनरी कोड में लिखी जाती है जिसके केवल दो अंक होते हैं 0 और 1 चूंकि कम्प्यूटर मात्र बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 को ही समझता है और कंप्‍यूटर का सर्किट यानी परिपथ इन बायनरी कोड को पहचान लेता है और इसे विधुत संकेतो ( Electrical signals ) मे परिवर्तित कर लेता है इसमें 0 का मतलब low या Off है और 1 का मतलब High या On 

निम्न स्तरीय भाषा (Low Level Language)

मशीनी भाषा ( Machine language ) को मशीनी संकेत में बदलने के लिये किसी भाषा अनुवादक का प्रयोग नही करना होता है। इसलिये मशीनी भाषा ( Machine language ) एक निम्न स्तरीय भाषा (Low Level Language) है, वह भाषाएँ (Languages) जो अपने संकेतो को मशीन संकेतो में बदलने के लिए किसी भी अनुवादक को सम्मिलित नही करता, उसे निम्न स्तरीय भाषा कहते है अर्थात निम्न स्तरीय भाषा के कोड को किसी तरह से अनुवाद (Translate) करने की आवश्यकता नही होती है

लेकिन मशीनी भाषा में तैयार करना बहुत कठिन है इसके दो कारण हैं - 
  • मशीनी भाषा ( Machine language ) मेंं प्रोग्राम लिखने के लिये प्रोग्रामर को मशीनी निर्देशो या तो अनेकों संकेत संख्या के रूप मे याद करना पडता था
  • और साथ ही प्रोग्रामर को कंप्यूटर के Hardware Structure के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी भी होनी चाहिये थी
मशीनी भाषा ( Machine language ) में प्रोग्राम सुरक्षित रखने के लिये पंचकार्ड (Punch Cards) का इस्‍तेमाल किया जाता था, 1801 में जोसेफ-मेरी जैकर्ड ने सर्वप्रथम पंच कार्ड का प्रयोग किया, चूंकि मशीनी भाषा मे मात्र दो अंको 0 और 1 की श्रृंखला का प्रयोग होता है। अत: इसमे त्रुटि होने की सम्भावना अत्यधिक है। और प्रोग्राम मे त्रुटि होने पर त्रुटि को तलाश कर पाना बहुत कठिन है इस कारण वर्तमान में मशीनी भाषा में प्रोग्राम नहीं लिखे जाते हैं।

नेमोनिक कोड क्या होते है ? - What is Mnemonic Code ?

नेमोनिक कोड (Mnemonic code) का प्रयोग असेम्बली भाषा (Assembly Language) में प्रोग्राम लिखने के लिये किया जाता है नेमोनिक कोड (Mnemonic code) में नेमोनिक का अर्थ होता है आसानी से याद रहने वाले तो आईये जानते हैं क्‍या होते हैं नेमोनिक कोड (Mnemonic code)

आपको बता दें कि Computer मशीनी भाषा ( Machine language ) समझता है और मशीनी भाषा बायनरी कोड में लिखी जाती है जिसके केवल दो अंक होते हैं 0 और 1 चूंकि कम्प्यूटर मात्र बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 को ही समझता है

लेकिन बाइनरी संकेत हमारे लिये समझना और उसमें प्रोग्राम लिखना हमारे लिये संभव नहीं हैं इसलिये मनुष्‍य ने अपना काम आसान करने के लिये असेम्बली भाषा (Assembly Language) का निर्माण किया जिसमें बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 के स्‍थान पर ऐसे अन्य शब्‍दों और अंकों का प्रयोग किया जाता है जिसके मनुष्‍य आसानी से पहचान सके और याद रख सके, लेकिन ये शब्‍द पूूरे नहीं होते हैं एक प्रकार से कमांड की शार्टफार्म होते हैं जैसे Translation के लिये Tran, Jump के लिये JMP और increase by one के लिये inc का प्रयोग होता है, इस वजह सेे असेम्बली भाषा (Assembly Language) को Symbol language भी कहते हैं और असेम्बली भाषा (Assembly Language) में प्रोग्राम लिखना आसान हो जाता है 

लेकिन कंप्‍यूटर असेम्बली भाषा (Assembly Language) में लिखे प्रोग्राम को नहीं समझता है कम्प्यूटर मात्र बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 को ही समझता है इसलिये असेम्बली भाषा (Assembly Language) में लिखे प्राेग्राम में लिखे प्रोग्राम को असेम्बली भाषा (Assembly Language) से मशीनी भाषा (Machine language) में Translate किया जाता है और इस काम करता है, Programming Language Translator अब जो भाषा अनुवादक (Language Translator) असेम्बली भाषा (Assembly Language) को मशीनी भाषा (Machine language) मेंं Translate करतेे हैं वह असेम्बलर (Assembler) कहलाते हैं।

तो इस तरह “mnemonic code” (निमोनिक कोड) के कारण असेम्बली भाषा (Assembly Language) में प्राेग्राम लिखना और समझना सरल हो जाता है। 

 

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